हर साल दशहरा के अवसर पर हम रावण के पुतले को जला कर अच्छाई पर बुराई की विजय का पर्व मनाते हैं। यह त्योहार सिर्फ एक परंपरागत उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के संघर्ष में बुराई से लड़ने का संदेश भी देता है।
रावण के वध
रावण, जिसे हम बुराई का प्रतीक मानते हैं, वास्तव में अपनी विद्या, शक्ति और साहित्य में अद्वितीय था। लेकिन, उसकी अहंकार और अधर्मी प्रवृत्तियों ने उसे विनाश की ओर धकेल दिया। जीवन में, हमें भी कई बार अहंकार, ईर्ष्या, और अन्य बुराईयों से जूझना पड़ता है।
रावण के वध से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुराई की चाहे जितनी भी शक्ति हो, अच्छाई के सामने वह सदैव पराजित होती है। जीवन में भी, जब हम अन्याय, धोखा या अधर्म से मुकाबला करते हैं, तो हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
जीवन के संघर्ष में, अच्छाई की पथ पर चलने का अर्थ है कि हमें अपनी मूल्यों, सिद्धांतों और विश्वासों को दृढ़ता से पकड़ा रहना चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुशासन, ईमानदारी और संघर्ष का मार्ग अपनाना चाहिए।
हमें समझना चाहिए कि बुराई सिर्फ हमारे बाहरी जगत में ही नहीं, बल्कि हमारे अंदर भी मौजूद है। हमारी आवाजें, शंकाएं और विफलताओं से जूझते हुए, हमें अपने आप को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
राम और रावण के युद्ध में, राम ने अपने धर्म, ईमानदारी और आत्म-निर्भरता की शक्ति से रावण को पराजित किया। इसी तरह, हमें भी अपनी जीवन में उत्थान के लिए अपने आप को मजबूत बनाना होगा।
आखिरकार, हमें यह समझना है कि जीवन में सच्चाई, न्याय और अच्छाई की पथ पर चलना ही असली विजय है। रावण के वध का संदेश यही है कि हमें अपनी जीवन में बुराई से लड़ने के लिए सदैव प्रयासशील रहना चाहिए और अच्छाई की पथ पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए हैप्पी दशहरा।